Press Releases

मेवात की बेटियों ने उठाई आवाज, बलात्कार के केसों में तुरंत हो कार्रवाई

चंडीगढ़, 04 अक्तूबर। हाथरस में हुई सामूहिक दुष्कर्म व हत्या की घटना ने जहां पूरे देश में फिर से कानून-व्यवस्था और राजनीकित ढांचे को कटघरे में खड़ा कर दिया है वहीं हरियाणा के मेवात की बेटियों का मानना है कि देश की ढीली न्याय प्रणाली इन अपराधों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। आरोपियों को बिना किसी देरी के कठोर से कठोर सजा मिलेगी तो वह इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने से पहले झिझकेंगे।


प्रयोग फांडउेशन द्वारा नूंह में आयोजित किए गए सेमिनार में महिलाओं ने जहां बेबाकी के साथ अपनी बात रखी वहीं सेल्फी विद डॉटर फांउडेशन की ब्रांड एंबेसडर प्रतिभागियों ने भी कानून-व्यवस्था में बदलाव की मांग उठाई। इस अवसर पर बोलते हुए मेवात के टांई गांव की रहने वाली अंजुम इस्लाम ने कहा कि अब समय आ गया है कि जब बेटियों की परवरिश में बदलाव होना चाहिए।
इसी अभियान से जुड़ी पूजा ने कहा कि रेप पीडि़ता को लोग अछूत मानते हैं और उसे कोई स्पोर्ट नहीं करता बल्कि उसके परिवार और पूरे समाज का प्रयास घटना को दबाने की तरफ होता है। साकरस गांव की रहने वाली शहनाज बानो ने कहा कि निर्भया केस 2012 में हुआ और दोषियों को सजा 2020 में दी गई। इस तरह की न्याय प्रणाली और अपराधियों का बच निकलना भी समाज के लिए घातक सिद्ध होता है और कहीं न कहीं इन घटनाओं को दोबारा जन्म देता है।


गांव भौंड की रहने वाले अरस्तून व रिजवाना ने कहा कि इस तरह की घटनाओं पर संवादहीनता लगातार बढ़ रही है। इस बारे में जितनी बातचीत की जाएगी उतना ही पुरूष प्रधान समाज में महिलाएं अपने हकों के लिए जागरूक होकर आगे आएंगी। उन्होंने कहा कि रेप ही नहीं छेड़छाड़ की भी छोटी से छोटी घटना को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।


सेमिनार में निषकर्षीय भाषणा देते हुए फांउडेशन के अध्यक्ष सुनील जागलान ने कहा कि बलात्कार की बढ़ रही घटनाओं के लिए जहां कानूनी प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है वहीं इस तरह विभत्स घटनाओं के अंजाम देने वालों को फास्ट ट्रैक अदालतों में सुनवाई करके फांसी दी जाए। इन केसों को लंबा नहीं लटकाना चाहिए। क्योंकि इन केसों की सुनवाई के दौरान भी न जाने कितनी लड़कियां दुष्कर्म का शिकार हो जाती है। जिनकी आवाज कोई नहीं उठाता है। सेमिनार में विशेष रूप से पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार कासिम खान ने कहा कि बहुत से केसों में लोग आपसी रंजिश को निकालने के लिए महिलाओं को ढाल बनाते हैं। ऐसे में महिलाओं को खुद आगे आगे पुरूष प्रधान समाज की कठपुतली बनने से गुरेज करना होगा। इस अवसर पर प्रयोग फांउडेशन के महासचिव संजीव शर्मा, उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार समेत कई गणमान्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।

Copyright © 2024 Paryog Foundation. All Rights Reserved.
Designed and Developed by Solution Intelligentia